We use cookies to analyze our website traffic. By continuing to use the site, you agree to our Terms and Policies

  • ॥ पृथ्वीपूजनम् ॥
    वेदों में कहा गया है 'माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः' अर्थात् धरती हमारी माता है और हम सब इसके पुत्र हैं। धरती माता के ऋण से उऋण होने और उनके जैसी उदारता, सहनशीलता, विशालता के गुणों को धारण करने के भाव से एक आचमनी जल धरती पर छोड़ें तथा प्रणाम करें। ॐ पृथ्वि त्वया धृता लोका, देवि ! त्वं विष्णुना धृता। त्वं च धारय मां देवि ! पवित्रं कुरु चासनम् ॥-सं.प्र.
    अर्थात्- हे पृथ्विी ! तुम भगवान् विष्णु के द्वारा धारण की गयी हो और तुमने सभी लोकों को धारण किया है। हे देवि ! तुम मुझे भी धारण करो और मेरे आसन को पवित्र करो।
    Comments: 0 Reposts: 0

    Leave a comment can only registered users.