आज ज्ञान और भक्ति की चर्चा एक साथ, क्योंकि दोनों को लेकर बड़ा झगड़ा झंझट चलता है।
ज्ञान में जो अद्वैत है, भक्ति में उसी का नाम अनन्यता है। दोनों कहते हैं "दूसरा नहीं"। ज्ञान में तूं नहीं रहता, भक्ति में मैं नहीं रहता। दोनों में एक ही बचता है।
ज्ञान में सब एक समान है। उड़िया बाबा से किसी ने पूछा कि ज्ञान बड़ा या भक्ति? बाबा बोले- भक्ति। क्योंकि ज्ञान में तो छोटा बड़ा होता ही नहीं।
ज्ञान वह, जहाँ मान न हो। देखो ज्ञान और ज्ञानाभिमानी में अंतर है। ज्ञान माने जाननेवाला, जो जाना गया वो नहीं। आपने जो जाना वो ज्ञान नहीं। ज्ञान में ज्ञानीपना नहीं है, वह तो स्वयं ज्ञानस्वरूप है, ब्रह्मस्वरूप है।
और भक्त वो जो भगवान से विभक्त न हो। माने अलग न रहे, अंतर न रहे, अद्वैत हो जाए। नेत्रों में उनका रूप, कानों में उनकी कथा, मुख में उनका नाम, मन में उन्हीं का आश्रय रह जाए।
यहाँ जो ब्रह